लखनऊ । मुस्लिम राष्ट्रीय मंच उत्तर प्रदेश की कार्यकर्ता बैठक का आयोजन 4 जनवरी को प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गांधी स्मृति हाल में किया गया। जिसमें मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार जी मुख्य वक्ता के रुप में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम की शुरूआत मुफ्ती नोमान साहब की कुरआन पाक की तिलावत से हुआ उसके बाद मुफ्ती मलंग साहब ने मंच की दुआ पढ़ी। कार्यक्रम का संचालन कर रहे सय्यद रजा हुसैन रिज़वी ने संचालन करते हुए कहा कि अगर हिंदुस्तान में कहीं भी किसी मस्जिद में बुत हैं तो वहां नमाज़ नही होगी इसलिए हमें आगे आकर बातचीत कर के उसको वापस कर उसका हल निकालना चाहिए। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक डॉ इंद्रेश कुमार जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत वासुदेव कुटुम्बकुम वाला देश है हम पूरी दुनिया को अपना परिवार मानते हैं, हम उस देश से आते हैं जिस देश से मोहम्मद साहब को सकून की ठंडी हवा आती है।
आगे बोलते हुए कहा कि
भारतीय समाज में सांप्रदायिक सौहार्द्र और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऐतिहासिक पहल की है। हम मुसलमानों से अपील करते हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रहित में 142 करोड़ लोगों के लिए दिए बयान का सम्मान करते हुए, मुसलमानों को भी बड़ा दिल दिखाते हुए भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने का संकल्प लेना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि अदालतें सर्वोपरि हैं लेकिन विवादित धर्मस्थलों पर संवाद के माध्यम से हल निकाला जाना चाहिए। इससे देश की एकता, अखंडता, सौहार्द, भाईचारा और मेलमिलाप बना रहता है, आपसी रंजिशें नहीं रहती हैं। इसलिए हमारा आह्वान है कि जहां कहीं भी दो पक्षों के बीच अदालत में झगड़ा चल रहा है, वहां दोनों पक्ष आपसी संवाद कर आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट करें तो यह किसी भी सभ्य समाज के लिए बेहतर होगा।
संवाद के जरिये हिंदुओं की ऐतिहासिक इबादतगाहों को पुनर्स्थापित करते हुए काशी, मथुरा और सम्भल जैसी जगहों पर बने विवादित ढांचों को हिंदू समुदाय को संवाद के माध्यम से सौंपने का समर्थन किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि
मेरी बात इस्लाम के बड़े बड़े मौलानाओं से हुई है सबने एक मत होकर इस्लामिक सिद्धांतों के आधार पर यह स्पष्ट किया कि बुतपरस्ती (मूर्ति पूजा) की इजाजत इस्लाम में नहीं है। जिन मस्जिदों में टूटी हुई मूर्तियां पाई गई हैं या जिन स्थानों पर मंदिर होने के ऐतिहासिक, सामाजिक अथवा प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, वहां नमाज पढ़ना इस्लामिक उसूलों के खिलाफ है और यह नमाज के लिए नापाक जगह है। ऐसी जगह नमाज कबूल नहीं होती। उन्होंने कुरान और हदीस का हवाला देते हुए कहा कि जबरन कब्जा की गई भूमि पर मस्जिद बनाना इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।
वक्फ बिल संशोधन पर बोलते हुए कहा कि वक्फ का मतलब है कि वह जमीन पूरी तरह से अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित हो गई हो और उस पर किसी प्रकार का विवाद, जबरन कब्जा यह गैर कानूनी है यह कानून वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा की गारंटी देता है। अब आने वाले दिनों में मजहबों के नाम पर कोई दंगा नही होगा बल्कि मोहब्बत और दीन के रास्ते पर चलेंगे।
इस बैठक में मंच के प्रमुख पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल, राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शालिनि अली, इस्लाम अब्बास, सैयद रजा हुसैन रिज़वी, ठाकुर राजा रईस, तुषारकांत, आलोक चतुर्वेदी, , डा. ताहिर शाह, चांदनी शाह, डा. अनिल सिंह, डा. रिजवाना, कोमल नेहा , रुखसाना नकवी , गौसिया , कुमाइल खान, साबिर, शाह, सनी अब्बास,हैदर खान अख्तर खान, जमशेद खान, वारिस खान, शाइस्ता जी, मैताब खान, सोहराब प्रधान, mr हसन खान, वसीम खान समीम खान, रूबी खान, तारीख खान मशरूफ खान , राहिल खान ,हाफिज मुज्तबा,गुलजार फातमा शेर खान, चोटेखान,नौसद अहमद,आरफीन रैनी,मौलाना नोमान खान, आफताब मिर्जा जी, तनवीर जी नबाबखान समेत 700 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया।