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तुर्किये-अजरबैजान ने पाक के साथ मिलकर इस्लाम को किया बदनाम... बोले- RSS नेता इंद्रेश कुमार, पढ़िए पूरा इंटरव्यू

Operation Sindoor: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इंद्रेश कुमार ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को आतंकवाद से मुक्ति का आंदोलन बताया। वक्फ संशोधन बिल को माफिया मुक्त करने का प्रयास कहा गया है। जातिगत जनगणना और समान नागरिक संहिता पर भी विचार व्यक्त किए गए। इंद्रेश कुमार ने कहा कि सरकार आतंकवाद पर पाकिस्तान से बात करेगी। उन्होंने विपक्ष के सवालों को गलत बताया।
नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी का जश्न पूरे देश में मनाया जा रहा है। वहीं, वक्फ संशोधन बिल पर विपक्षी दलों के सवाल सबके सामने हैं। सरकार ने जाति जनगणना का भी फैसला लिया है। इन तमाम मुद्दों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार से NBT के भूपेंद्र शर्मा ने बात की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश :

 

  1. आतंकवाद के खिलाफ भारत के अभियान ऑपरेशन सिंदूर को आप कैसे देखते हैं?
    ऑपरेशन सिंदूर एक ऐसा आंदोलन है, जो आतंकवाद और आतंकवादियों से मुक्ति के लिए चलाया जा रहा है। सरकार की प्रतिज्ञा है कि हम कश्मीर समेत पूरे हिंदुस्तान को आतंकवाद से मुक्त बनाएंगे। अभियान का नाम भी अच्छा है, संकल्प भी। सेना ने जो कार्रवाई की है, वह भी प्रशंसनीय है। वहीं एक चर्चा चलती है कि आतंकवाद और आतंकवादी को मजहब से नहीं जोड़ना चाहिए। आंतकवादी मरता है तो उसके लिए नमाज क्यों पढ़ी जाती है? आतंकी के जनाजे में लोग क्यों शामिल होते हैं? अगर मजहब नहीं है तो नमाज नहीं होनी चाहिए। एक अपील बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है कि हिंदुस्तान के सब लोग जाति, मजहब, भाषा और दल से ऊपर उठकर इस बात का संकल्प करें कि आतंक का कोई मजहब नहीं है। आतंकी शैतान हैं। लोगों को यह तय करना चाहिए कि आतंकवादी के मरने पर नमाज नहीं होगी, जनाजे में नहीं जाएंगे और उसको मिट्टी भी नहीं दी जाएगी। पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग करेंगे। आतंकवाद व आतंकवादी से मुक्त भारत करेंगे। सारे देश की फिजा ये बन जाए तो आतंकवाद और आतंकवादी को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा।
  2. तुर्किये-अजरबैजान जैसे देशों ने पाकिस्तान की मदद की, जबकि भारत ने बुरे वक्त में तुर्किये को सबसे पहले मदद पहुंचाई थी...
    यह बात सोचने वाली है कि तुर्किये को बहुत बड़े संकट में भारत ने मदद दी, अजरबैजान के साथ भी भारत के अच्छे संबंध रहे तो अगर ये देश भी आतंकवाद के समर्थन में खड़े हुए हैं तो क्या इसका मतलब यह है कि मजहब के नाम पर पाक की मदद की गई? क्या ये देश आतंकवाद को सही मानते हैं? क्या वे आतंकवाद को मजहब का हिस्सा मानते हैं? इन दोनों देशों को इन सवालों के जवाब तो देने ही होंगे। पाक के साथ मिलकर इन दोनों देशों ने इस्लाम को बदनाम किया है। चीन ने तो डिवेलपमेंट के नाम पर कभी कोरोना नाम का वायरस पैदा किया था, जो विश्व में विनाश का कारण बना। चीन के आंकड़े को छोड़कर देखें तो 70-80 लाख लोगों को कोरोना वायरस खा गया, जिसमें हिंदुस्तान के भी काफी लोग हैं। चीन ने षडयंत्र कर कोशिश की है कि वह मालदीव, श्रीलंका, नेपाल व म्यांमार में अपने अड्डे बनाए, लेकिन भारत की कूटनीतिक समझ के कारण सरकार, सेना, प्रशासन ने उसको विफल कर दिया।
  3. विपक्ष सवाल उठा रहा है कि क्या भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार कर ली है?
    पहलगाम के बाद सारा विपक्ष सरकार व सेना के साथ खड़ा था। पहली बार देश का अधिकतम मुस्लिम समुदाय भी सरकार व सेना के साथ खुलकर खड़ा हुआ, जो तारीफ के काबिल है। जहां तक विपक्ष के सवालों की बात है तो भारत के पीएम ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका की कोई मध्यस्थता स्वीकार नहीं की गई है। सेना व सरकार ने यह भी साफ कह दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर व बाकी कार्रवाई फिलहाल स्थगित है, रोकी नहीं है, जारी रहेगी। तीसरे पक्ष के दखल का कोई सवाल ही नहीं। पीएम ने कहा है कि पाक से जब भी बात होगी तो आतंकवाद पर होगी, पीओके कैसे लेना है, इस पर होगी। ऐसे में सवाल उठाने वाले अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम कर रहे है।
  4. वक्फ संशोधन बिल 2025 पर विरोध क्यों?
    वक्फ बोर्ड इस समय माफिया का अड्डा बना हुआ है। संशोधन के बाद माफिया मुक्त वक्फ बोर्ड होगा। वक्फ बोर्ड में खुदा की संपत्ति का रखरखाव न होना बड़ी बेईमानी है। संशोधन बिल उसका हिसाब-किताब रखने वाला है। मुस्लिमों को योजनाओं का फायदा नहीं मिल रहा। अब वेलफेयर स्कीम बढ़ेगी, कमजोर, दुखी मुस्लिमों को लाभ मिलेगा। लेकिन माफिया व कट्टरपंथी को इससे कोई लेना-देना नहीं। वे मुसलमानों को भड़का रहे हैं। मुसलमानों में एक बड़ा समूह संशोधन के समर्थन में है। दुनिया के किसी भी देश का आदमी मजहब, जाति, भाषा से नहीं पहचाना जाता, देश से पहचाना जाता है। ऐसे ही इस देश का मुसलमान हिंदुस्तान से हिंदुस्तानी, भारत से भारतीय था और है, यही उसकी पहचान है।
  5. जातिगत जनगणना और UCC पर आपकी क्या राय है?
    पहले भी जातीय जनगणना होती रही है। जहां तक UCC का सवाल है तो जब एक देश, एक संविधान और एक न्याय व्यवस्था है तो नागरिक संहिता भी एक होनी चाहिए। इससे मुस्लिम महिलाओं को न्याय व सम्मान की गारंटी मिलेगी। ये देश की एकता का कामयाब मार्ग है। मुस्लिम समुदाय को भी यह समझ आ गया है कि अशिक्षा, बेरोजगारी से लड़ना है।

    सौजन्य- https://shorturl.at/Q5umH


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