नई दिल्ली में जंतर मंतर पर आज यानी 10 दिसंबर से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक ऐतिहासिक आंदोलन की शुरुआत की है. यह आंदोलन आने वाले 16 तारीख तक लगातार जारी रहेगा. दरअसल इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में हो रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार को रोकना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है. साथ ही उन्हें न्याय दिलाने से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाना और मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना है. मंच ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल विरोध नहीं बल्कि बदलाव लाना भी है.
मोहम्मद यूनुस सरकार को सौंपा गया ज्ञापन
आपको बता दें कि विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ मुस्लिम मंच ने केंद्र सरकार की मदद से बांग्लादेश उच्चायोग और मोहम्मद यूनुस सरकार को ज्ञापन भी सौंपा है. जिसमें साफ तौर पर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों हिंदुओं पर हो रहे हिंसा को तुरंत रोकने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की है. इतना ही नहीं ज्ञापन में बांग्लादेश सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा गया कि यदि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो इसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने रखी अपनी बात
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का कहना है कि अगर बांग्लादेश सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर पाती है तो इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि हमारा अगला कदम ये होगा कि हम संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और विभिन्न देशों के राजदूतों से संपर्क करके दोबारा इस मुद्दे को उठाएंगे. अगर ऐसा नहीं किया गया तो लगातार जो बांग्लादेश में मानवता का कत्ल किया जा रहा है ये कभी बंद नहीं होगा. मंच ने बताया कि केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि कई राज्यों में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की गई हैं. वहीं इस मंच को राष्ट्रीय संयोजक, सह संयोजक, महिला और युवा प्रकोष्ठों के पदाधिकारी, और राज्य संयोजकों द्वारा आयोजित किया गया था. इस दौरान जंतर मंतर पर हजारों समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया, साथ ही बांग्लादेश सरकार की कड़ी निंदा की.
कई नेताओं ने अपने विचार को किया साझा
विरोध प्रदर्शन में पहुंचे शाहिद सईद (राष्ट्रीय संयोजक) का कहना है कि “यह आंदोलन केवल एक विरोध नहीं, बल्कि मानवता और भाईचारे का प्रतीक है.” आगे उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को न्याय दिलाना भारत की नैतिक जिम्मेदारी है. क्योंकि हम किसी भी तरह के धार्मिक उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करेंगे.
डॉ शालिनी अली आंदोलन को दौरान रखी अपनी बात
दिल्ली में जारी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच पर डॉ. शालिनी अली (राष्ट्रीय संयोजक) ने अपनी बात रखते हुए कहा कि “महिलाओं और बच्चों पर हो रहे अत्याचारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हमारा यह आंदोलन मानवाधिकार और न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है.” वहीं सैयद रजा हुसैन रिजवी (राष्ट्रीय संयोजक) का कहना है कि “धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ यह आंदोलन हमारे कर्तव्य और मानवता का प्रतीक है. यह दिखाता है कि हम हर प्रकार से अन्याय के खिलाफ खड़े हैं.”
जबकि गिरीश जुयाल (राष्ट्रीय संयोजक) इन्होंने कहा कि “धर्म और मानवाधिकारों की रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है. यह आंदोलन केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में सत्य और न्याय की आवाज बन जाएगा.” साथ ही इमरान चौधरी (युवा एवं मदरसा प्रकोष्ठ संयोजक) का कहना है कि “हमारा यह आंदोलन पूरे दक्षिण एशिया में धार्मिक सद्भाव और मानवाधिकारों की रक्षा का प्रतीक बनेगा. युवा पीढ़ी इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है.” इतना ही नहीं आंदोलन में उपस्थित मज़ाहिर खान ने बताया कि “क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए दोनों देशों के बीच बेहतर संवाद और सामरिक साझेदारी को जरूरी बताया है.”
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अल्पसंख्यक अत्याचारों का निकाला आंकड़ा
1. आबादी में गिरावट- 1971 में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की जनसंख्या लगभग 29% थी, जो अब घटकर 9% रह गई है.
2. संपत्ति पर कब्जा- हिंदुओं की जमीन और संपत्तियों पर जबरन कब्जा किया गया.
3. धार्मिक हिंसा- कई हिंदू परिवारों को जबरन धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया.
4. महिलाओं पर अत्याचार- हिंदू महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले बढ़े हैं.
मुस्लिम मंच का ऐलान एकता और भाईचारा है बेहद जरूरी
जानकारी दें कि राष्ट्रीय संयोजक शाहिद सईद ने आंदोलन के दौरान अपनी बात रखते हुए कहा कि “हमारा आंदोलन केवल विरोध तक सीमित नहीं है. यह पूरे दक्षिण एशिया में धार्मिक सहिष्णुता, मानवाधिकारों, और न्याय की रक्षा का प्रतीक बनेगा. उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के लिए खड़ा होना हमारा कर्तव्य है. साथ ही इस मंच का असली मकसद धार्मिक सौहार्द, न्याय, और मानवाधिकारों की रक्षा को बनाए रखना है.
मिली जानकारी के मुताबिक मुस्लिम समुदाय के तरफ से आयोजित यह आंदोलन आने वाले 16 दिसंबर तक लगातार जारी रहेगा. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनकी मांगें पूरी होने तक यह संघर्ष चलता ही रहेगा. वहीं इस मंच का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देने के साथ-साथ बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने का है.