मुस्लिम राष्ट्रीय मंच संगठन की ओर से वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक 2024 को लागू करने के समर्थन में अभियान चलाया जा रहा है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मेरठ प्रांत संयोजक राव मुशर्रफ अली ने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2024 का स्वागत करता है और केंद्र सरकार से इसे तत्काल लागू करने की मांग करता है। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 में संशोधन सिर्फ मुसलमानों के हक में था। इस अधिनियम के तहत अगर वक्फ बोर्ड किसी निजी या सार्वजनिक संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करता है तो वह संपत्ति वक्फ बोर्ड की होगी और उसकी सुनवाई किसी अन्य कोर्ट में नहीं हो सकेगी, उसकी सुनवाई सिर्फ वक्फ बोर्ड के ट्रिब्यूनल में ही हो सकेगी। वक्फ बोर्ड की मनमानी से गैर मुस्लिम ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय भी आहत है। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां वक्फ बोर्ड ने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को वक्फ संपत्ति होने का दावा किया है। राव मुशर्रफ अली ने यह भी बताया कि भारत सरकार को वक्फ संपत्तियों से संबंधित बड़ी संख्या में शिकायतें प्राप्त हुई हैं। देशभर में वक्फ बोर्ड की 58,229 संपत्तियों पर अवैध कब्जे की शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश में हैं। इन शिकायतों को उचित कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य वक्फ बोर्डों और सरकारों को भेज दिया गया है।
वक्फ अधिनियम की धारा 54 और 55 के तहत राज्य वक्फ बोर्डों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण हटाने और कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है। राव मुशर्रफ अली ने कहा कि वक्फ संपत्तियों को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये जमीनें मुस्लिम समुदाय की हैं और मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान, ईदगाह आदि धार्मिक उद्देश्यों के लिए आरक्षित हैं। सरकार ने वक्फ अधिनियम में संशोधन के लिए दो नए विधेयक पेश किए हैं। उन्होंने कहा कि इन संशोधनों का उद्देश्य वक्फ बोर्डों की असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाना है। प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, किसी संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले सत्यापन अनिवार्य होगा। वक्फ अधिनियम 1954 में लागू किया गया था और 1995 में संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड को व्यापक अधिकार दिए गए। इसमें वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर दावा करने का अधिकार मिला और अगर संपत्ति का मालिक वक्फ के दावे को गलत साबित करना चाहता है, तो उसे खुद सबूत पेश करने होंगे। इस कानून की वजह से वक्फ के मामलों में अदालतें और सरकारें दखल नहीं दे सकती थीं। ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड को इतने अधिकार देने से क्या भारतीयों के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ? अदालत जाने का अधिकार हर भारतीय का मौलिक अधिकार है, जिसे छीनना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। अब मोदी सरकार इन प्रावधानों में बदलाव करके न्याय और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठा रही है।